गुरुवार, 21 जनवरी 2010
उपनयन संस्कार -
श्रीमाली ब्राह्मणों का उपनयन संस्कार (जनेऊ डालना) एक महत्वपूर्ण संस्कार है। इसलिए जब लड़का 8 वर्ष का हो जाता है उपनयन धारण करवाया जाता है। उपनयन संस्कार हेतु शुभ मुहुर्त निकाला जाता है तथा मुहुर्त के दिन लड़के को दुल्हा बनाकर स्नान करवाकर होम करते हैं। उसकी उम्र के बच्चों के साथ बैठाकर चूरमा खिलाते हैं फिर स्नान कराकर उसके सिर और शरीर पर चंदन केसर का लेप करते है और जनेऊ पहनाकर ब्रह्मचारी बनाते है। उस वक्त गुरू पिता या बड़ा भाई गायत्री मंत्र सुनाकर कहता है कि तू अब ब्राह्मण हुआ है और ब्राह्मण कर्म करना। इसके बाद मृगचर्म ओढ़कर मुंज (मेखला) का कन्दोरा बांधते हैं और एक दण्ड हाथ में दे देते है। तत्पश्चात् उपस्थित लोगों से भीख मांगता है। शाम को खाना खाने के पश्चात् दण्ड को साथ कंधे पर रखकर घर से भागता है और कहता है कि मै पढ़ने के लिए काशी जाता हूँ। बाद में कुछ लोग शादी का लालच देकर पकड़ लाते हैं। तत्पश्चात वह लड़का ब्राह्मण मान लिया जाता है।
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Thank U Sanjay G your work is best for our samaj- vimal vyas bikaner
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