गुरुवार, 21 जनवरी 2010

श्रीमाली ब्राह्मणों के गोत्र-

श्रीमालियों के 14 गोत्र व 4 आमनम तथा 84 अंवटक है। आमनाय पहले तो दो ही थी - एक मारवाड़ी व दूसरी मेवाड़ी परन्तु बाद में दो आमनाय और जुड़ गई। इनमें एक रिख तथा दूसरी लटकन थी। श्रीमाली जाति में चौदह गोत्र पाये जाते हैं जिनमें सात को यजुर्वेदी तथा बाकी के सात को सामवेदी कहा गया है। प्रत्येक गोत्र की अपनी एक कुलदेवी होती है इसी कारण इनमें एक ही गोत्र में विवाह निषेध है। इन 14 गोत्रों के 84 आंवटक या उप-समूह है जैसे दवे, व्यास, जोशी, बोहरा, इत्यादि इनका नाम था तो एक विशेष स्थान पर रहने से या एक विशेष प्रकार का काम करने से पड़ा। श्रीमाली ब्राह्मणों की कुलदेवी माता महालक्ष्मी है।
श्रीमाली ब्राह्मण वेदाध्यायी, कर्मकाण्डी तथा शुद्ध उच्चारण के लिये समस्त ब्राहम्णों में प्रसिद्ध हैं। श्रीमाली समाज के लोग मुख्य रूप से पूजन, पाठ, ब्याह और क्रिया-कर्म कराने का कार्य करते है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. श्रीमाली ब्राह्मणों में अठ्ठारह गौत्र का उल्लेख मिलता है, वर्तमान में चौदह गौत्र प्राप्त होते हैं। बाकी के चार गौत्र लुप्त और अज्ञात है।इस विषय में किसी भी श्रीमाली बंधु को जानकारी हो तो प्रकाशित करें।

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  2. मूलराज ने श्रीमाली ब्राह्मणो के बदले ओदीच्य ब्राह्मणो को अपने राज्य का वहीवट सोप दिया उसके बाद श्रीमाली ब्राह्मणो का क्या हुवा जो रजवहीवट एवं न्याय के कार्य मे जुटे हुवे थे ???क्या इतिहास है ?

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